‘अहो दुरन्ता बलवद्विरोधिता’ का अर्थ

(A) आलस्य मनुष्य के शरीर में रहने वाला उसी का घोर शत्रु है।
(B) कण्व कहते हैं– अब मैं इस वनज्योत्स्ना और तुम्हारे विषय में निश्चिन्त हो गया हूं।
(C) बलवान् के साथ किया गया वैर-विरोध होना अनिष्ट अन्त है।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : बलवान् के साथ किया गया वैर-विरोध होना अनिष्ट अन्त है।

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'अहो दुरन्ता बलवद्विरोधिता' का हिंदी में अर्थ– बलवान् के साथ किया गया वैर-विरोध होना अनिष्ट अन्त है। संस्कृत की यह सूक्ति किरातार्जुनीयम् 1/23 से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
अनुमतगमनाशकुन्तला तरुभिरियं वनवासबन्धुभि:। (अभिज्ञान शाकुन्तलम्-4/10)
हिंदी में अर्थ– कण्व कहते हैं वृक्षों ने इस शकुन्तला को पतिगृह जाने की अनुमति दे दी है।

अवेहि तनयां ब्रह्मन्नग्निगर्भां शमीमिव। (अभिज्ञान शाकुन्तलम्)
हिंदी में अर्थ– महर्षि कण्व को आकाशवाणी से शकुन्तला विषयक ज्ञान हुआ ऐसा प्रियंवदा ने अनसूया से बताया है ब्रह्मन् पृथ्वी के कल्याण हेतु दुष्यन्त द्वारा स्थापित वीर्य को धारण करती हुई 'पुत्री शकुन्तला को तुम अग्निधारण करने वाले शमी वृक्ष की भांति समझो।'
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Aho Duranta Balvadvirodhita