अशोक के शिलालेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था?

(A) रॉबर्ट सेबेल
(B) जेम्स प्रिंसेप
(C) कॉड्रिगटन
(D) भूहलर

Answer : जेम्स प्रिंसेप

Explanation : अशोक के शिलालेख को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। उसने 1837 ई. में अशोक के शिलालेख को ब्राह्मी लिपि में पढ़ने की सफलता प्राप्त की थी। अशोक का इतिहास हमें मुख्यतः उसके अभिलेखों से ही ज्ञात होता है। अशोक के शिलालेख 14 विभिन्न लेखों का एक समूह हैं, जो आठ भिन्न स्थानों से प्राप्त किये गए हैं। अशोक के 14 शिलालेखों के विषय इस प्रकार हैं- प्रथम शिलालेख में पशुबलि की निंदा की गई है। द्वितीय शिलालेख में अशोक ने मनुष्य और पशु दोनों की चिकित्सा व्यवस्था का उल्लेख किया है। आम जनता तथा पशुओं के प्रति उठाए गये कदम है। तृतीय शिलालेख में अशोक ने अपने राजकीय अधिकारियों को यह आदेश दिया कि वे हर पाँच वर्ष उपरांत दौरे पर जाएं। इस शिलालेख में कुछ धार्मिक नियम का भी उल्लेख किया गया। चतुर्थ शिलालेख में धर्म से संबंधित शेष नियमों का उल्लेख किया गया। पाँचवें शिलालेख में धर्म महामात्रों की नियुक्ति के विषय में जानकारी मिलती है। छठे शिलालेख में 'आत्म नियंत्रण' की शिक्षा दी गयी। सातवें एवं आठवें शिलालेख में अशोक की तीर्थ यात्राओं का उल्लेख है। नौवें शिलालेख में सच्ची भेंट एवं सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख हैं। दसवें शिलालेख के माध्यम से अशोक ने यह आदेश दिया कि राजा तथा उच्च पदाधिकारी हर क्षण प्रजा के हित के बारे में सोचें। ग्यारहवें शिलालेख में धर्म के वरदान को सर्वोत्कृष्ट बताया गया है। बाहरवें शिलालेख में सभी प्रकार के विचारों के सम्मान के विषय में कहा गया है। तेरहवें शिलालेख में कलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के हृदय परिवर्तन की बात कही गयी है। चौदहवें शिलालेख में अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया तथा रूढ़िवादी अनुष्ठानों की प्रथा का भर्त्सना करता है।
Tags : अशोक के शिलालेख
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Web Title : Ashok Ke Shilalekh Ko Sarvpratham Kisne Pada Tha