भारत में मनसबदारी प्रथा किसने शुरू की थी?
(A) बाबर
(B) अकबर
(C) शाहजहां
(D) औरंगजेब
Explanation : भारत में मनसबदारी प्रथा अकबर ने 1575 में शुरू की थी। 'मनसब' फारसी भाषा का शब्द है। इस शब्द का अर्थ है पद, दर्जा या ओहदा। जिस व्यक्ति को अकबर मनसब देता था, उस व्यक्ति को मनसबदार (Mansabdar) कहा जाता था। अकबर ने अपने प्रत्येक सैनिक और असैनिक अधिकारी को कोई-न-कोई मनसब (पद) अवश्य दिया। मनसबदार के साथ 1594-95 ई. से सवार का पद भी जुड़ने लगा। इस तरह अकबर के शासन काल में मनसबदारी प्रथा कई चरणों से गुजरकर उत्कर्ष पर पहुंची। जहांगीर ने मनसबदारी व्यवस्था में कुछ परिवर्तन करते हुए सवार पद में दु-अस्पा एवं सिह-अस्पा की व्यवस्था की। दु-अस्पा में मनसबदारों को निर्धारित संख्या में घुड़सवारों के साथ उतने ही कोतल (अतिरिक्त) घोड़े रखने होते थे जबकि सिंह-अस्पा में मनसबदारों को दुगने कोतल घोड़े रखने पड़ने थे। शाहजहां ने अपने शासनकाल में मनसबदारी अवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उन मनसबदारों के लिए नियम बनाया, जो अपने पद की तुलना में घुड़सवारों की संख्या कम रखते थे। औरंगजेब के समय में समक्ष मनसबदारों के किसी महत्वपूर्ण पद पर जैसे फौजदार या किलेदार आदि पर पर नियुक्त या फिर किसी महत्वपूर्ण अभियान पर जाते समय उसके सवार पद में अतिरिक्त वृद्धि का एक और माध्यम निकाला गया, जिसे मसाहत कहा गया।
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Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी, मध्यकालीन भारत प्रश्नोत्तरी
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