भारतीय इतिहास में धन्वंतरि कौन थे?

(A) सृष्टि के निर्माता
(B) आयुर्वेद प्रवर्तक
(C) कृष्ण के मित्र
(D) राम के अंशावतार

Answer : आयुर्वेद प्रवर्तक

भारतीय इतिहास में धन्वंतरि आयुर्वेद प्रवर्तक थे। इनको देवताओं का वैद्य या आरोग्य का देवता भी कहा जाता है। देवासुर संग्राम में जब देवताओं को दानवों ने आहत कर दिया, तब असुरों के द्वारा पीड़ित होने से दुर्बल हुए देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से हाथ में कलश लिए धन्वं‍तरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए। देव चिकित्सक धन्वं‍तरि का अवतरण कार्त्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) को हुआ था। शायद इसीलिए लोग धन त्रयोदशी पर कलश आदि अन्य बर्तनों की खरीदारी करते हैं, ताकि उन बर्तनों में अमृत सदा भरा रहे। प्रति वर्ष इसी तिथि को आरोग्य देवता के रूप में धन्वं‍तरि की जयंती मनाई जाती है। उनके नाम के स्मरण मात्र से समस्त रोग दूर हो जाते हैं, इसीलिए वह भागवत महापुराण में ‘स्मृतिमात्रतिनाशन’ कहे गए हैं। समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे। उसी में भगवान विष्णु के नामों का जाप करते हुए पीतांबरधारी एक अलौकिक पुरुष का आविर्भाव हुआ। 24 अवतारों में एक विष्णु के अंशावतार वही चतुर्भुज धन्वं‍तरि के नाम से प्रसिद्ध हुए और आयुर्वेद के प्रवर्तक कहलाए।

अमृत वितरण हो जाने के बाद भगवान धन्वं‍तरि देवराज इंद्र के अनुरोध पर देवताओं के चिकित्सक के रूप में अमरावती में रहने लगे। द्वापर में चंद्रवंशी राजा धन्व नि:संतान थे। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए अब्जपति भगवान विष्णु का ध्यान किया। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए और धन्वं‍तरि के रूप में स्वयं के जन्म लेने का उन्हें वर प्रदान किया। वरदान के फलस्वरूप धन्वं‍तरि ने काशीराज के वंश में धन्व के पुत्र रूप में जन्म लिया और भारद्वाज ऋषि से आयुर्वेद व चिकित्सा कर्म का ज्ञान प्राप्त कर आयुर्वेद शास्त्र को आठ भागों में विभक्त किया। उनका एक पुत्र हुआ, जो केतूमान नाम से विख्यात हुआ था। आयुर्वेद के आठ अंग इस प्रकार हैं- काय चिकित्सा, बाल चिकित्सा, ग्रह चिकित्सा, ऊर्ध्वांग चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, दंत चिकित्सा, जरा चिकित्सा और वृष चिकित्सा।
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Web Title : Bhartiya Itihas Mein Dhanvantari Kaun The