दल-बदल विरोधी कानून कब बना?

(A) वर्ष 1980 में
(B) वर्ष 1985 में
(C) वर्ष 1990 में
(D) वर्ष 1995 में

Answer : वर्ष 1985 में

Explanation : दल-बदल विरोधी कानून वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से बना। इसके कारण अपनी सुविधा के हिसाब से पार्टी बदल लेने वाले विधायकों और सांसदों पर लगाम लगाई गई। इसके लिए संविधान में 10वीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके तहत किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि, एक निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है। कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है। किसी सदस्य द्वारा सदन में पार्टी के पक्ष के विपरीत वोट किया जाता है। कोई सदस्य स्वयं को वोटिंग से अलग रखता है। परंतु एक राजनीतिक दल को किसी अन्य राजनीतिक दल में या उसके साथ विलय करने की अनुमति दी गई है बशर्ते कि उसके कम-से-कम दो-तिहाई विधायक विलय के पक्ष में हों। इसके अलावा सदन का अध्यक्ष बनने वाले सदस्य को इस कानून से छूट प्राप्त है।

बता दे कि 1985 से पहले दल-बदल के ख़िलाफ़ कोई क़ानून नहीं था। उस समय 'आया राम गया राम' मुहावरा ख़ूब प्रचलित था। दरअसल 1967 में हरियाणा के एक विधायक गया लाल ने एक दिन में तीन बार पार्टी बदली, जिसके बाद आया राम गया राम प्रचलित हो गया। लेकिन 1985 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार इसके ख़िलाफ़ विधेयक लेकर आई। 1985 में संविधान में 10वीं अनुसूची जोड़ी गई। ये संविधान में 52वें संशोधन था।
Tags : दल-बदल विरोधी कानून राजव्यवस्था प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Dal Badal Virodhi Kanoon Kab Bana