धन्वंतरि किसके दरबार में रहते थे?
(A) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(B) भोज
(C) विक्रमादित्य
(D) भरथरी
Explanation : धन्वंतरि विक्रमादित्य के दरबार में रहते थे। शल्य तंत्र के प्रवर्तक को धन्वंतरि कहा जाता है, ये विक्रमादित्य की सेना में भी मौजूद थे। कहा जाता है कि ये रोगों से मुक्ति दिलवाया करते थे। धन्वंतरि लगभग 7 हजार ईसापूर्व के बीच हुए थे। वे काशी के राजा महाराज धन्व के पुत्र थे। उन्हें आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। धन्वंतरि के हजारों ग्रंथों में से अब केवल धन्वंतरि संहिता ही पाई जाती है, जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है। उन्होंने शल्य शास्त्र पर महत्वपूर्ण गवेषणाएं की थीं। उनके प्रपौत्र दिवोदास ने उन्हें परिमार्जित कर सुश्रुत आदि शिष्यों को उपदेश दिए। दिवोदास के काल में ही दशराज्ञ का युद्ध हुआ था। धन्वंतरि के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। बता दे कि धन्वंतरि नाम से और भी कई आयुर्वेदाचार्य हुए हैं। आयु के पुत्र का नाम धन्वंतरि था।
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