गणेश शंकर विद्यार्थी की मृत्यु कैसे हुई?
(A) उम्र कैद के दौरान निधन
(B) 7 नवंबर 1889, लखनऊ
(C) दंगे के दौरान हत्या
(D) सामान्य निधन
Answer : दंगे के दौरान हत्या
Explanation : गणेश शंकर विद्यार्थी की मृत्यु के संदर्भ में बता दे कि 23 मार्च, 1931 को सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी हुई थी। अगली सुबह 24 मार्च को कानपुर हिंदू-मुस्लिम दंगे की आग में जल रहा था। ऐसे विकराल समय में विद्याथीर्जी लोगों को शांत करने और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए सक्रिय हुए। 25 मार्च, 1931 को कानपुर के चौबे गोला इलाके में गणेश शंकर विद्यार्थी की हत्या कर दी गई। भीषण मारकाट में दो दिन तक उनका कोई अत-पता न लग सका। दो दिन बाद उनका शव अस्पताल में ढूंढ़ा जा सका। शव इतना फूल गया था कि उसे पहचानना तक मुश्किल था। इसके बाद गुपचुप तरीके से उनका अंतिम संस्कार भी करा दिया गया।
गणेशशंकर विद्यार्थी एक ऎसे साहित्यकार रहे, जिन्होंने देश में अपनी कलम से सुधार की क्रांति उत्पन्न की। उनका 26 अक्तूबर 1890 को इलाहाबाद (प्रयाग) के अतरसुइया मोहल्ले में हुआ। इनके पिता का नाम जयनारायण था। पिता एक स्कूल में अध्यापक थे और उर्दू तथा फारसी के अच्छे जानकार थे। गणेशशंकर विद्यार्थी की शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के मुंगावली में हुई थी। गणेशशंकर विद्यार्थी एक निडर और निष्पक्ष पत्रकार तो थे ही, इसके साथ ही वे एक समाज-सेवी, स्वतंत्रता सेनानी और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा था।
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