घनिष्टता विहीन अनुभव प्रदान करने वाले समूह को क्या कहा जाता है?

(A) प्राथमिक समूह
(B) द्वितीयक समूह
(C) संदर्भ समूह
(D) अंत: समूह

Answer : द्वितीयक समूह

Explanation : घनिष्टता विहीन अनुभव प्रदान करने वाले समूह को द्वितीयक समूह कहा जाता है। द्वितीयक समूह के सदस्य एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते। बैंक के काउंटर पर वह व्यक्ति जो चेक लेता है, या डाकघर में जो बाबू टिकट देता है, वह कौन-सी जाति-बिरादरी का है, कहां का रहने वाला है, विवाहित या अविवाहित है, इसकी हमें कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है। हमारा उद्देश्य तो चेक का धन या डाक टिकट लेना है। तात्पर्य हुआ, द्वितीयक समूह के सदस्यों के साथ हमारे संबंध किसी निश्चित उद्देश्य को लेकर ही होते हैं। इससे आगे संबंधी हमारा कोई सरोकार नहीं होता। द्वितीयक समूहों में लोगों के साथ हमारे सम्पर्क वस्तुतः प्रस्थिति और भूमिका से जुड़े होते हैं। किसी अमुक प्रस्थिति में कौन-सा व्यक्ति काम करता है, इस व्यक्ति से हमें कोई मतलब नहीं। आज इस प्रस्थिति में महेश काम करता है, कल वह चला जाता है और उसके स्थान पर सुरेश आ जाता है। हमें महेश व सुरेश से कोई तात्पर्य नहीं है। हमारा संबंध तो उस प्रस्थिति के साथ है, जिस पर इन नामों के लोग काम करते थे। अतः द्वितीयक समूह में हमारे सम्पर्कों का उपागम हर स्थिति में औपचारिक ही होता है।
Tags : समाजशास्त्र प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Ghanishthata Vihin Anubhav Pradan Karane Vale Samuh Ko Kya Kaha Jata Hai