Explanation : घनश्याम शब्द में कर्मधारय समास है। घनश्याम का समास विग्रह घन के समान सियाम (श्याम) होगा। यहां पूर्वपद 'घन' विशेष्य तथा उत्तर पद 'श्याम' विशेषण है अतः यहां विशेषण-विशेष्य कर्मधारय समास है। ....और आगे पढ़ें
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Explanation : संधि के तीन प्रकार होते हैं। जब दो-या-दो से अधिक वर्षों के मूल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं। संधि मुख्यत: तीन प्रकार की होती है– 1. स्वर संधि – स्वर के साथ स्वर के मेल से उत्पन्न विकार को स्वर संधि कहते हैं। 2. व्यंजन संधि – व्यंजन के साथ व्यंजन या स्वर के मेल से उत्पन्न विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। 3. विसर्ग संधि – विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मूल से उत्पन्न विकार को विसर्ग संधि कहते हैं। ...Read More
Explanation : 'नमस्ते' का संधि-विच्छेद नम: + ते होगा। इसमें विसर्ग संधि (Visarg Sandhi) है। विसर्ग संधि की परिभाषा अनुसार जहाँ विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग का लोप हो जाता है या विसर्ग के स्थान पर कोई नया वर्ण आ जाता है, वहाँ विसर्ग संधि होती है। जैसे– मनः+वेग = मनोवेग, मनः+बल = मनोबल, मनः+रंजन = मनोरंजन, तपः+बल = तपोबल, तपः+भूमि = तपोभूमि, मनः+हर = मनोहर, वयः+वृद्ध = वयोवृद्ध, मनः+नयन = मनोनयन, शिरः+भाग = शिरोभाग, मनः+व्यथा = मनोव्यथा, मनः+नीत = मनोनीत, रजः+गुण = ...Read More
Explanation : हिंदी में संस्कृत के मूल शब्दों को तत्सम कहते हैं; जैसे-राजा, पुष्प, अग्नि, वायु, वत्स, भ्राता, कवि इत्यादि। जबकि तद्भव शब्द संस्कृत से उत्पन्न या विकसित हुए शब्द होते हैं; जैसे-मोर, बच्चा, फूल, चार आदि। ...Read More
Explanation : 'बोकरा-छेरी' का समास विग्रह बोकरा और छेरी हैं। यहाँ पूर्वपद 'बोकरा' तथा उत्तर पद 'छेरी' दोनों प्रधान हैं तथा अर्थ की दृष्टि से दोनों का स्वतंत्र अस्तित्व है। अतः यह द्वन्द्व समास का उदाहरण है। ...Read More
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घनश्याम बहुब्रीहि समास है क्योंकि यहां विशेषण विशेष्य नहीं है बल्कि एक अलग अर्थ ध्वनिन होता है। घनश्याम का अर्थ है, कृष्ण।