हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः का अर्थ

(A) भिन्न-भिन्न मनुष्य की प्रवृत्ति भिन्न होती है।
(B) हितकर प्रियवचन दुर्लभ हैं।
(C) जैसे को तैसा मिलना।
(D) भूखा व्यक्ति कौन सा पाप नहीं कर सकता।

Answer : हितकर प्रियवचन दुर्लभ हैं।

Explanation : हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः का अर्थ हितकर प्रियवचन दुर्लभ हैं। यह संस्कृत की प्रसिद्ध कहावत है। हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः श्लोक, हितं मनोहारि च दुर्लभं वचः मीनिंग इन हिंदी शब्दार्थ है हितकर प्रियवचन दुर्लभ हैं। संस्कृत के मुहावरे एवं संस्कृत लोकोक्तियाँ के अर्थ सामान्य हिंदी के पेपर में अक्सर पूछे जाते है। संस्कृत की एक प्रचलित कहावत यह भी है–
बुद्धिर्यस्य बलम् तस्य, निर्बुद्धिस्य कुतो बल:।
अर्थ – जिसके पास बुद्धि है, वही बलवान है, निर्बुद्धि व्यक्ति को कहाँ बल होता है।
यादृशी शीतला देवी तादृशी वाहन खर:।
अर्थ – जैसे को तैसा मिलना।
Tags : संस्कृत मुहावरे संस्कृत लोकोक्तियाँ
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Web Title : Hitam Manohari Cha Durlabham Vachah