आईपीसी की धारा 153 क्या है- IPC Section 153 in Hindi

What is Section 153 of Indian Penal Code, 1860

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 के अनुसार,
बल्वा कराने के आशय से स्वैरिता से प्रकोपन देना–यदि बल्वा किया जाए–यदि बल्वा न किया जाए – जो कोई अवैध बात के करने द्वारा किसी व्यक्ति को परिद्वेष से या स्वैरिता से प्रकोपित इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप बल्वे का अपराध किया जाएगा, यदि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप बल्वे का अपराध किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, और यदि बल्वे का अपराध न किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, या दोंनो से, दंडित किया जाएगा।

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 (क) के अनुसार,
धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा, इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का सम्प्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना – (1) जो कोई –
(क) बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषायी या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द अथवा शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएँ, धर्म, मूलवंश, जन्म–स्थान, निवास–स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रवतित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा, अथवा

(ख) कोई ऐसा कार्य करेगा, जो विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है और जो लोक–प्रशान्ति में विघ्न डालता है या जिससे उसमें विघ्न पड़ना सम्भाव्य हो, अथवा

(ग) कोई ऐसा अभ्यास, आंदोलन, कवायद या अन्य वैसा ही क्रियाकलाप इस आशय से संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे या यह सम्भाव्य जानते हुये संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विररुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे, या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जांएंगे अथवा ऐसे क्रियाकलाप में इस आशय से भाग लेगा कि किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए भाग लेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे और ऐसे क्रियाकलाप से ऐसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच, चाहे किसी भी कारण से, भय सा संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या उत्पन्न होनी सम्भाव्य है,
वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

पूजा के स्थान आदि में किया गया अपराध – (2) जो कोई उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अपराध किसी पूजा के स्थान में या किसी जमाव में, जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो, करेगा, वह कारावास से, जो पांच वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 (कक.) के अनुसार,
किसी जुलूस में जानबूझकर आयुध ले जाने या किसी सामूहिक ड्रिल या सामूहिक प्रशिक्षण का आयुध सहित संचालन या आयोजन करना या उसमें भाग लेना – जो कोई किसी सार्वजनिक स्थान में, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144क के अधीन जारी की गयी किसी लोक सूचना या किये गये किसी आदेश के उल्लघंन में किसी जुलूस में जानबूझकर आयुध ले जाता है या सामूहिक ड्रिल या सामूहिक प्रशिक्षण या आयुध सहित जानबूझकर संचालन या अयोजन करता है या उसमें भाग लेता तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी और जुर्माने, जो दो हजार रुपये तक का हो सकेगा, दंडित किया जायेगा।

स्पष्टीकरण – ‘आयुध’ से अपराध या सुरक्षा के लिए हथियार के रूप में डिजाइन की गयी या अपनायी गयी किसी भी प्रकार की कोई वस्तु अभिप्रेत है और इसके अतर्गत अग्नि शस्त्र, नुकीली धार वाले हथियार, लाठी, डंडा और छड़ी भी है।

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 (ख) के अनुसार,
राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान – (1) जो कोई बोले गए या लिखे गये शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरूपणों द्वारा या अन्यथा –
(क) ऐसा कोई लांछन लगाएगा या प्रकाशित करेगा कि सिकी वर्ग के व्यक्ति इस कारण से कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य है, विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा नहीं रख सकते या भारत की प्रभुता और अखंडता की मर्यादा नहीं बनाए रख सकते, अथवा
(ख) यह प्राख्यान करेगा, परामर्श देगा, प्रचार करेगा या प्रकाशित करेगा कि किसी वर्ग के व्यक्तियों को इस कारण कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य हैं, भारत के नागरिक के रूप में उनके अधिकार न दिए जाएं या उन्हें उनसे वंचित किया जाए अथवा
(ग) किसी वर्ग के व्यक्तियों की बाध्यता के संबंध में इस कारण कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य हैं, कोई प्राख्यान करेगा, परामर्श देगा, अभिवाक् करेगा या अपील करेगा अथवा प्रकाशित करेगा, और ऐसे प्राख्यान, परामर्श, अभिवाक् या अपील से ऐसे सदस्यों तथा अन्य व्यक्तियों के बीच असामंजस्य अथवा शत्रुता या घृणा या वैमनस्य की भावनाएं उत्पन्न होती हैं या उत्पन्न होनी सम्भाव्य हैं,
वह कारावास से, जो तीन वर्ष तक को हो सकेगा, या जुर्माने से, अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा।
(2) जो कोई उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट कोई अपराध किसी उपासना स्थल में या धार्मिक उपासना अथवा धार्मिक कर्म करने में लगे हुए किसी जमाव में करेगा वह कारावास से, जो पांच वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

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