आईपीसी की धारा 207 क्या है- IPC Section 207 in Hindi

What is Section 207 of Indian Penal Code, 1860

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 207 के अनुसार,
सम्पत्ति पर उसके समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये कपटपूर्वक दावा – जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुए कि ऐसी किसी सम्पत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रगतिगृहीत करेगा, प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा अथवा किसी सम्पत्ति या उसमें के किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में इस आशय से प्रवंचना करेगा कि तदद्वारा वह उस सम्पत्ति या उसमें के हित का ऐसे दंडादेश के अधीन, जो न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जा चुका है या जिसके बारे में वह जानता है कि न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य है, समपहरण के रूप में या जुर्माने के चुकाने के लिये लिया जाना, या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन में, जो सिविल वाद में न्यायालय द्वारा दिया गया हो, या जिसके बारे में वह जानता है कि सिविल वाद में न्यायालय द्वारा उसका दिया जाना सम्भाव्य है, लिया जाना निवारित करे, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जायेगा।

Useful for Exams : Central and State Government Exams
Indian Penal Code 1860
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Web Title : ipc ki dhara 207 kya hai