आईपीसी की धारा 419 क्या है- IPC Section 419 in Hindi
What is Section 419 of Indian Penal Code, 1860
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 419 के अनुसार, प्रतिरूपण द्वारा छल के लिये दंड – जो कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जायेगा।
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भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 325 के अनुसार,
स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के लिए दंड – उस दशा के सिवाय, जिसके लिये धारा 335 मे उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 91 के अनुसार,
ऐसे कार्यों का अपवर्जन जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत: अपराध है – धारा 87, 88 और 89 के अपवादों का विस्तार उन कार्यों पर नहीं है जो उस अपहानि के बिना भी स्वत: अपराध है जो उस व्यक्ति को, जो सम्मति देता है या जिसकी ओर से सम्मति दी जाती है, उन कार्यों से कारित हो, या कारित किए जाने का आशय हो, या कारित होने की संभाव्यता, ज्ञात हो।
दृष्टान्त
गर्भपात करना (जब तक कि वह उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक न किया गया हो) किसी अपहानि के बिना ...read more
जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Hatyakand) के विरुद्ध बढ़ते जनअसंतोष से भयभीत और कांग्रेस के बार-बार मांग पर सरकार ने लार्ड विलियम हंटर (William Wilson Hunter) की अध्यक्षता में एक जांच आयोग 19 अक्टूबर, 1919 को गठित किया। जिसे हंटर कमेटी के नाम से जाना जाता है। इस 7 सदस्यीय आयोग के चार बिट्रिश सदस्य थे-लार्ड विलियम हंटर (अध्यक्ष), डब्ल्यू. एफ. राइस, सर जॉर्ज बैरो, जी.सी. रैंकिन तथा तीन भारतीय सदस्य-चमनलाल सीतलवाड़, पं. जगत नारायण और सुल्तान अहमद खान थे। इसका सचिव एच सी स्टॉक्स था।
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भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 के अनुसार,
कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना – जो कोई उस अपराध का किया जाना, जो कारावास से दंडनीय है, सुकर बनाने के आशय से या सम्भाव्यत: तदद्वारा सुकर बनाएगा यह जानते हुए–
ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा स्वेच्छया छिपाएगा या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन करेगा जिसका मिथ्या होना वह जानता है,
यदि अपराध कर दिया जाए – यदि अपराध नहीं किया जाए – यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए, तो वह उस अपराध क ...read more