आईपीसी की धारा 63 क्या है- IPC Section 63 in Hindi
What is Section 63 of Indian Penal Code, 1860
January 17, 2019
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 63 के अनुसार, जुर्माने की रकम — जहाँ कि वह राशि अभिव्यक्ति नहीं की गई है जितनी तक जुर्माना हो सकता है वहाँ अपराधी जिस रकम के जुर्माने का दायी है, वह अमर्यादित है, किन्तु अत्यधिक नहीं होगी।
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44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 – संपत्ति के अधिकार को, जिसके कारण संविधान में कई संशोधन करने पड़े, मूल अधिकार के रूप में हटाकर केवल विधिक अधिकार बना दिया गया। फिर भी यह सुनिश्चित किया गया कि संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों की सूची से हटाने से अल्पसंख्यकों के अपनी पसंद के शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने और संचालन संबंधी अधिकारों पर कोई प्रभाव न पड़े। संविधान के अनुच्छेद 352 का संशोधन करके यह उपबंध किया गया कि आपात स्थिति की घोषणा के लिए एक कारण 'सशस्त्र विद्रोह' होगा। आंतरिक गड़बड़ी, यदि य ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 84 के अनुसार,
विकृत चित्त व्यक्ति का कार्य — कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वार की जाती है, जो उसे करते समय चित्तविकृति के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है, जानने में असमर्थ है।
According to Section 84 of the Indian Penal Code 1860,
Act of a person of unsound mind — Nothing is an offence which is done by a person who, at the time of doing it, by reason of unsoundness of mind, is incapable of kno ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 71 के अनुसार,
कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दंड की अवधि – जहाँ कि कोई बात, जो अपराध है, ऐसे भागों में, जिनमें का कोई भाग स्वयं अपराध है, मिलकर बनी है, वहाँ अपराधी अपने ऐसे अपराधों में से एक से अधिक के दंड से दंडित न किया जाएगा, जब तक कि ऐसा अभिव्यक्त रूप से उपबधिंत न हो —
जहाँ कि कोई बात अपराधों को परिभाषित या दंडित करने वाली किसी तत्समय प्रवृत्त विधि की दो या अधिक पृथक् परिभाषाओं में आने वाला अपराध है अथवा;
जहाँ कि कई कार्य, जिनमें से स्वयं एक से या स्वय ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 511 के अनुसार,
आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न करने के लिये दंड – जो कोई इस संहिता द्वारा आजीवन कारावास से या कारावास से दंडनीय अपराध करने का, या ऐसा अपराध कारित किये जाने का प्रयत्न करेगा, और ऐसे प्रयत्न में अपराध करने की दिशा में कोई कार्य करेगा, जहाँ कि ऐसे प्रयत्न के दंड के लिये कोई अभिव्यक्त उपबंध इस संहिता द्वारा नहीं किया गया है, वहाँ वह उस अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के कारावास से उस अवधि के लिए, जो यथास्थिति, आजीवन क ...read more