कछुआ किस देवता की सवारी है?
(A) भगवान गणेश
(B) मां लक्ष्मी
(C) मां सरस्वती
(D) इंद्र देवता
Explanation : कछुआ भगवान विष्णु की सवारी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दैत्यराज बलि के अत्याचारों देवताओं के राजा देवराज इन्द्र परेशान हो उठे थे। वह इसके निवारण के लिए भगवान विष्णु जी के पास गए। तब भगवान विष्णु ने देवताओं के दुखों को दूर करने के लिए सागर में पड़े अमृत के घड़े को बाहर निकाल कर पीने की सलाह दी ताकि सभी देवता अमर हो सकें। इसके लिए सागर मंथन किया जाना था, जिसके लिए दैत्यों का सहयोग भी जरुरी था। इसके लिए नारद ने दैत्यराज बलि को चालाकी से अमृत पीने का लालच देकर सागर मंथन के लिए तैयार कर लिया।
नागराज वासुकी को रस्सी (नेती) बनाया गया और उसे मंदराचल पर्वत के गिर्द लपेटा गया परंतु जैसे ही सागर मंथन शुरु किया तो पर्वत पानी में कोई ठोस आधार न होने के कारण डूबने लगा। ऐसे में भगवान विष्णु जी ने कच्छप अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को सहारा दिया तथा देवताओं और दैत्यों ने सागर मंथन किया गया। भगवान विष्णु जी ने देवताओं के दुखों को दूर करने के लिए कछुए के रुप में अवतार लिया और उनके मनोरथ को सफल बनाया।
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