केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के कार्य क्या है?

भ्रष्टाचार निवारण पर गठिन संथानम समिति (1962-64) की अनुशंसाओं के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव के तहत 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) का गठन किया गया था। 2003 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा CVC को सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया। वर्ष 2004 में, भारत सरकार ने CVC को भ्रष्टाचार या पदों के दुरुपयोग से सम्बंधित किसी आरोप के प्रकटीकरण हेतु लिखित शिकायतों को प्राप्त करने तथा उचित कार्य की अनुशंसा करने के लिए ‘नामित संस्था (Designated Agency)’ के रूप में अधिकृत किया।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग के कार्य निम्नलिखित है–

CBI के संबंध में
• भ्रष्टाचार निरोध​क अधिनियम, 1988 के तहत जांच के सन्दर्भ में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अर्थात् CBI के कार्यों का अधीक्षण करना; या लोक सेवकों के निश्चित वर्गों के लिए CrPC के तहत किये-गए अपराध की जांच करना और इस उतरदायित्व के निर्वहन हेतु DSPE को निर्देश देना;
• भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत निर्दिष्ट किये गए अपराधों के लिए (DSPE) द्वारा संचालित जांच प्रक्रियाओं की प्रगति हेतु निर्देश देना एवं समीक्षा करना;
• विनीत नारायण मामले में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि CBI (और प्रवर्तन निदेशालय) के निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, गृह सचिव और कार्मिक मंत्रालय के सचिव के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिशों पर की जानी चाहिए। समिति को मंत्रिमंडल के पास अपनी सिफारिशों को अग्रेषित करने से पूर्व CBI के वर्तमान निदेशक की राय भी लेनी चाहिए।
• CBI के निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति को निदेशक (CBI) से परामर्श करने के बाद DSPE में SP के समकक्ष और उससे उच्च पदों के अधिकारियों की नियुक्ति की सिफारिश करने का अधिकार दिया जाता है।
• प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति को भी प्रवर्तन निदेशालय के तत्कालीन निदेशक से परामर्श करने के बाद, उपनिदेशक स्तर एवं उससे उच्च पदों हेतु नियुक्ति की सिफारिश करने का अधिकार दिया जाता है।

सतर्कता के संबंध में
• यदि भारत सरकार के कार्यकारी नियंत्रण के अधीन किसी संगठन में कार्यरत किसी लोक सेवक पर भ्रष्ट तरीके से कार्य करने या अनुचित उद्देश्य हेतु कार्य करने का संदेह किया गया हो या आरोप लगाया गया हो, तो इससे सम्बंधित कार्यवाही हेतु जांच या पूछताछ आरम्भ करना;
• भारत सरकार के उन मंत्रालयों, विभागों और अन्य संगठनों के सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों पर सामान्य नियंत्रण और पर्यवेक्षण का प्रयोग करना, जिनमें संघ की कार्यकारी शक्ति का विस्तार होता है; और
• सार्वजनिक हित प्रकटीकरण और सूचनादाता की सुरक्षा के सन्दर्भ में प्राप्त शिकायतों की जांच आरम्भ करना तथा उचित कार्यवाही की सिफारिश करना।
• लोक सेवाओं में नियुक्त ​व्यक्तियों, संघ के विषयों से संबंधित पदों तथा अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों से सम्बद्ध सतर्कता एवं अनुशासनात्मक विषयों को नियंत्रित करने वाले नियम एवं वि​नियम बनाने से पूर्व CVC से परामर्श करना आवश्यक होता है।
• केंद्र सरकार को अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के सदस्यों से सम्बधित सतर्कता एवं अनुशासनात्मक विषयों को नियंत्रित करने वाले नियमों एवं विनियमों के निर्माण में CVC से परामर्श करना आवश्यक होता है।

CVC की कार्यप्रणाली
CVC का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह नई दिल्ली से अपनी कार्यवाहियों का संचालन करता है।
• इसका चरित्र न्यायिक है। इसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होती हैं तथा यह अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने का अधिकार रखता है।
• यह केंद्र सरकार या उसके अधिकारियों से सूचना या रिपोर्ट की मांग कर सकता है, ताकि सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी कार्य के सम्बन्ध में सामान्य पर्यवेक्षण किया जा सके।
• किसी संस्था द्वारा जांच की गई रिपोर्ट प्रा्रप्त करने के बाद CVC केंद्र सरकार या उसके अधिकारियों को आगे की कार्यवाही के लिए अनुशंसा प्रदान करता है। यदि वे CVC के परामर्श से सहमत नहीं हैं, तो उन्हें उनकी असहमति का कारण बताना होता है।
• CVC के प्रदर्शन की वार्षिक रिपोर्ट को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा इस रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
• केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग में एक मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) होता है। यह CVO सतर्कता से संबंधित सभी विषयों में सचिव या कार्यालय प्रमुख की सहायता करता है और उन्हें परामर्श देता है। इसके साथ ही वह संबंधित संगठन के सतर्कता विभाग की अध्यक्षता भी करता है।
• वह अपने संगठन और केंद्रीय सतर्कता आयोग के बीच तथा दूसरी और अपने संगठन और केंद्रीय जांच ब्यूरो के बीच कड़ी का कार्य करता है।

Web Title : Kendriya Satarkta Aayog Ke Karya