केशवानंद भारती केस 1973 क्या है?

(A) संसद की संविधान संशोधन करने की शक्ति
(B) सर्वोच्च न्यायालय की स्वतंत्रता
(C) संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ का सिद्धांत
(D) आधारभूत संरचना का खंडन

Answer : संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ (Basic Structure) का सिद्धांत

Explanation : केशवानंद भारती केस 1973 में सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वप्रथम संविधान के मौलिक लक्षण का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। 'केशवानंद बनाम केरल राज्य' के वाद में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय की पुनरीक्षा की गयी। 13 में से 10 न्यायाधीशों ने निर्णय दिया कि स्वयं अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की शक्ति निहित है। केशवानंद के मामले में इस निर्णय के बाद संविधान (42वां संशोधन) अधिनियम, 1976 द्वारा अनुच्छेद 368 में खंड 4 और 5 जोड़े गए और संसद को संशोधन करने की शक्तियों के 'मूल लक्षणों' के परिसीमन को कम कर दिया गया। इसमें मूल लक्षणों को इस प्रकार सारणीबद्ध किया गया – संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत संघवाद, धर्मनिरपेक्षता, संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य, संसदीय प्रणाली, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और कल्याणकारी राज्य।
Tags : भारतीय संविधान प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Kesavananda Bharati Case 1973 Kya Hai