खेजड़ी को राज्य वृक्ष कब घोषित किया गया?

(A) 30 जून, 2014
(B) 31 अक्टूबर, 1983
(C) 26 जनवरी, 1850
(D) 17 फरवरी, 2010

Answer : 31 अक्टूबर, 1983

Explanation : खेजड़ी को राज्य वृक्ष 31 अक्टूबर, 1983 को घोषित किया गया। इसे 'रेगिस्तान का गौरव' व 'राजस्थान का कल्पतरु' अथवा 'थार का कल्पवृक्ष' भी कहा जाता है। खेजड़ी वृक्ष का व्यापारिक नाम 'कांडी' है। जबकि इसका वैज्ञानिक नाम 'प्रोसोपिस सिनेरेरिया' है। खेजड़ी से पत्ती, लकड़ी व सांगरी प्राप्त होती है। इसकी फली को 'सांगरी' कहते हैं जो सुखाकार सब्जी के रूप में प्रयुक्त की जाती है और इसकी पत्तियां 'लूम' चारे के रूप में प्रयुक्त होती है। इसकी पत्ती पशुओं (विशेषकर ऊँट, बकरी) के चारे के काम में आती है। लकड़ी जलाने व कच्चे मकान की छत बनाने के काम आती है। इसकी लकड़ी कृषि औजार बनाने के भी काम में आती है। खेजड़ी वृक्ष में जल संरक्षण और भू-क्षरण रोधक क्षमता होती है। खेजड़ी वृक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये तेज गर्मियों के दिनों में भी हरा-भरा रहता है और रेत में भी उग सकता है। यह एक सदाबहार वृक्ष है। अकाल के समय रेगिस्तान के आदमी और जानवरों का यही एकमात्र सहारा होता है। कहा जाता है कि जब 1899 में अकाल पड़ा था, जिसको 'छपनिया अकाल' कहा जाता है। उस समय रेगिस्तान के लोगों ने खेजड़ी पेड़ के तनों के छिलके खाकर जिन्दा रहे थे।
Tags : राजस्थान प्रश्नोत्तरी राज्य वृक्ष
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Web Title : Khejadi Ko Rajya Vriksh Kab Ghoshit Kiya Gaya