‘किरातार्जुनीयम्’ के प्रथम सर्ग का छंद है?

(A) वसन्ततिलका
(B) उपेन्द्रवज्रा
(C) वंशस्थ
(D) उपजाति

Question Asked : [TGT Exam 2009]

Answer : वंशस्थ

महाकवि भारवि ने 'किरातार्जुनीयम्' नामक महाकाव्य के प्रथम सर्ग में वंशस्थ छंद है। इस सर्ग में आरंभ से 44वें पद्य तक वंशस्थ छंद का प्रयोग है जिसका लक्षण है — 'जतौ तु वंशस्थमुदीरितं जरौ' अर्थात् जिसमे क्रमश: जगण-तगण-जगण रगण आयें, वही वंशस्थ छंद है। इस महाकाव्य के प्रथम सर्ग में श्लोक की संख्या 46 है। 45 में श्लोक में 'न समयपरिरक्षणं क्षमं ने विदधति सोपधि सधिदूषणानि में पुष्पिताग्रा छंद है और अर्थान्तरन्यास अलंकार है।
Tags : संस्कृत संस्कृत प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Kiratarjuniyam Ke Pratham Sarg Ka Chhand Hai