क्षणे क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः का अर्थ

(A) नियति अतिक्रमणीय होती है अर्थात् होनी नहीं टाला जा सकता।
(B) मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं।
(C) जो प्रत्येक क्षण नवीनता को धारण करता है वही रमणीयता का स्वरूप है।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : जो प्रत्येक क्षण नवीनता को धारण करता है वही रमणीयता का स्वरूप है।

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'क्षणे क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः' का हिंदी में अर्थ– जो प्रत्येक क्षण नवीनता को धारण करता है वही रमणीयता का स्वरूप है। संस्कृत की यह सूक्ति शिशुपालवधम् 4/17 से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
आर्जवं हि कुटिलेषु न नीति:। (नैषधीयचरितम्)
हिंदी में अर्थ– कुटिल जनों के प्रति सरलता नीति नहीं होती।

अल्पस्य हेतोर्बहु हातुमिच्छन्विचारमूढ़: प्र​तिभासि में त्वम्।
हिंदी में अर्थ– थोड़ी सी वस्तु के लिए शरीर का त्याग करने वाले राजा दिलीप मुझे मूढ़बुद्धि वाले प्रतीत हो रहे हैं ऐसा सिंह कुम्भोदर ने कहा।
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Kshane Kshane Yannavataamutpati Tadev Rupam Ramaniyataya