कुमाऊं में कुली बेगार की प्रथा कब समाप्त हुई?

(A) 1921
(B) 1922
(C) 1944
(D) 1938

Question Asked : उत्तराखंड हाईकोर्ट पीए परीक्षा 2019

Answer : 1921

Explanation : कुमाऊं में कुली बेगार की प्रथा 1921 में समाप्त हुई। 1921 के आरम्भ में कुमाऊं का सामाजिक-राजनैतिक वातावरण असहयोग आंदोलन के तीव्र प्रभाव में था। गांवों-विशेष रूप से समस्त कत्यूर, बोरारौ तथा रानीखेत क्षेत्र में बेगार विरोधी लहर पूरी तरह फैल चुकी थी और उत्तरायणी मेले में इस सबकी सम्मिलित अभिव्यक्ति का सभी को इंतजार था। उधर 10 जनवरी को ही हरगोविंद पंत, चिरंजीलाल, बदरी दत्त पाण्डे, चेतराम सुनार सहित कुमाऊं परिषद् के लगभग 50 कार्यकर्ता अल्मोड़े से बोरारौ-कत्यूर होकर बागेश्वर पहुंच गये थे। रास्ते भर नारे लगते रहे- भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय तथा वन्दे मातरम। समस्त जनता ने बद्रीदत्त पांडे के नेतृत्व में हाथ उठाकर उतार न देने की घोषणा की। 'सरकार अन्यायी है', 'स्वतंत्र भारत की जय' तथा 'महात्मा गांधी की जय' के नारे लगे और कुली रजिस्टर मालगुजारों द्वारा सरयू के प्रवाह बहा दिए गए।
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Kumaon Mein Kuli Begar Ki Pratha Kab Samapt Hui