लोकगीत शैली का काव्य किस ग्रंथ को कहा जाता है?

(A) पृथ्वीराज रासो
(B) बीसलदेव रासो
(C) परमाल रासो
(D) हम्मीर रासो

Answer : परमाल रासो

Explanation : लोकगीत शैली का काव्य परमाल रासो ग्रंथ को कहा जाता है। जगनिक कृत 'परमालरासो' आल्हा खंड नाम से प्रसिद्ध है, यह जनसामान्य में आज भी लोकगान के रूप में प्रचलित है, इसलिए ‘परमाल रासों' को लोकगीत शैली का काव्य कहा जाता है। सन 1865 में फर्रुखाबाद के कलक्टर चार्ल्स इलियट ने कन्नौज तथा उसके आसपास के अल्हैतों को एकत्र करके आल्हा लोकगीत का संग्रह करवाया था। बाद में बाबू श्यामसुंदर दास ने ‘परमाल रासो' नाम से सन् 1919 में नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी से प्रकाशित करवाया।
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Web Title : Lokgeet Shaili Ka Kavya Kis Granth Ko Kaha Jata Hai