मन की उतप्त वेदना, मन ही मन में बहती थी में कौन सा रस है?

(A) शांत रस
(B) वियोग श्रृंगार रस
(C) करुण रस
(D) वात्सल्य रस

Answer : करुण रस

Explanation : मन की उतप्त वेदना, मन ही मन में बहती थी। चुप रहकर अन्तर्मन में, कुछ मौन व्यथा कहती थी।। दुर्गम पथ पर चलने का वो संबल छूट गया था। अविचल, अविकल वह प्राणी, भीतर से टूट गया था। उपर्युक्त काव्य—पंक्तियों में करुण रस अभिव्यंजित हो रहा है। करुण रस की परिभाषा अनुसार – किसी प्रिय वस्तु अथवा व्यक्ति आदि के अनिष्ट की आशंका या इनके विनाश से हृदय में उत्पन्न क्षोभ या दु:ख को 'करुण रस' कहते हैं। इसका स्थायी भाव 'शोक' है। विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से पूर्णता प्राप्त होने पर 'शोक' नामक स्थायी भाव से 'करुण रस' की निष्पत्ति होती है। सामान्य हिंदी के अन्तर्गत रस संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। जो आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड., आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी होते है।
Tags : करुण रस रस के अंग रस के प्रकार रस हिन्दी व्याकरण
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Man Ki Utapt Vedana Man He Man Mein Bahati Thi Mein Kaun Sa Ras Hai