मेघदूत का मूल स्रोत क्या है?

(A) ऐतिहासिक
(B) कवि-कल्पित
(C) जन-श्रुति पर आधारित
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : कवि-कल्पित

Explanation : मेघदूतम्' के कथानक का मूल स्त्रोत 'कवि-कल्पित' है। 'मेघदूतम' और 'ऋतुसंहारम्' को छोड़कर कालिदास की अन्य रचनाएं महाकाव्य और नाटक दोनों ही-पौराणिक तथा ऐतिहासिक आख्यानों पर आधारित है। प्राचीन वर्गीकरण के अनुसार, मेघदूत और ऋतुसंहार खण्डकाव्य की कोटि में आते हैं, कवि की अपनी कल्पना से प्रसूत है। मेघदूत में कथा नाममात्र के लिए है। कुछ विद्वानों ने मेघदूत का मूल-स्त्रोत 'ब्रह्मवैवर्तपुराण' को माना है, क्योंकि इस पुराण में ​योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी-देवशयन एकादशी) के माहात्म्य के प्रसंग में कुबेर द्वारा जिस अभिशप्त यक्ष की कथा का वर्णन किया है वही कथा मेघदूत में वर्णित की है। लेकिन प्रश्न यह है कि इन दोनों में अर्थात् ब्रह्मवैवर्तपुराण और कालिदास में प्राचीन कौन है? यदि ब्रह्मवैवर्तपुराण प्राचीन है तो निस्सन्देह यही कथा मेघदूत का स्त्रोत है, ऐसा मानने में आपत्ति नहीं हो सकती है। मेघदूतम् की कथा का बीज कालिदास को अवश्य ही वाल्मीकीय रामायण से प्राप्त हुआ। राम-सीता वियोग, मरुत्पुत्र हनुमान का वायुमार्ग से यात्रा करके दूतकार्य, हनुमान और सीता का संवाद, अंगूठी देना आदि घटनाएं मेघदूत में यक्ष-यक्षिणी वियोग, मेघ का दूतकार्य, मेघ-यक्षिणी संवाद, यक्षिणी को यक्ष की अंगूठी देना आदि घटनाओं के रूप में उल्लिखित हैं।
Tags : संस्कृत
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