मेरुरज्जु की लंबाई कितनी होती है?
(A) 32–40 सेमी लंबा
(B) 42–45 सेमी लंबा
(C) 48–50 सेमी लंबा
(D) 50–55 सेमी लंबा
Explanation : मेरुरज्जु की लंबाई 42–45 सेमी होती है। यह मध्य वक्षीय क्षेत्र में 2 सेमी मोटा होता है, जो निम्न ग्रीवा व मध्य कटि क्षेत्र में थोड़ा बड़ा व निम्न सिरे पर मेरूदंड की गुहा में सर्वाधिक छोटा होता है। इसकी वृद्धि 4–5 वर्ष की आयु में रूक जाती है। मेरूरज्जु मस्तिष्क व समस्त शरीर में फैली तंत्रिकाओं के बीच सेतु का काम करता है। अनुप्रस्थ काट में मेरूरज्जु एक H व तितली के आकार का केंद्रीय कोर बनाता है जिसकी संरचना में तंत्रिका कोशिका से बना धूसर द्रव्य, द्रुमिकाएं व सिनैप्स होते है ये एक केंद्रिय कैनाल को चारों तरफ से घेरते है जिसकी बाहरी स्तर के रूप में सफेद द्रव्य होता है। इसका मायलीन आच्छद इसे विशिष्ट सफेद रंग प्रदान करता है।
मेरूरज्जु के प्रत्येक तरफ का धूसर द्रव्य 02 भागों में विभाजित रहता है जिसे श्रृंग (Horn) कहते है। जो रज्जु के अग्र भाग की तरफ स्थित होता है उसे अग्र (अधरीय) धूसर श्रृंग तथा पृष्ठ भाग की तरफ के श्रृंग को पश्च (पृष्ठ) धूसर श्रृंग कहते है। अग्र व पश्च धूसर श्रृंग के बीच पार्श्व धूसर श्रृंग उपस्थित रहता है। पार्श्व धूसर श्रृंग केवल वक्षीय, उच्च कटि व पुच्छ रज्जु क्षेत्र में ही पाया जाता है। इस प्रकार प्रस्तिष्क में सफेद द्रव्य आंतरिक क्षेत्र में पाया जाता है, जबकि मेरूरज्जु में तंत्रिका रेशे बाहर की तरफ होते है व धूसर द्रव्य केंद्र में उपस्थित होता है।
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Tags : जीव विज्ञान प्रश्नोत्तरी, मानव शरीर
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