नारायण पंडित के हितोपदेश को किसका पाठांतर माना जाता है?

(A) पंचतंत्र
(B) लीलावती
(C) बृहतसंहिता
(D) पंचसिद्धातिका

Answer : पंचतंत्र

Explanation : नारायण पंडित के हितोपदेश को पंचतंत्र का पाठांतर माना जाता है। हितोपदेश भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएं हैं। इसकी रचना का श्रेय पंडित नारायण जी को जाता है, जिन्होंने पंचतंत्र तथा अन्य नीति के ग्रंथों की मदद से हितोपदेश नामक इस ग्रंथ का सृजन किया। नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान है। विभिन्न उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी के आसपास निर्धारित की जाती है। हितोपदेश की रचना का आधार पंचतंत्र ही है। कथाओं से प्राप्त साक्ष्यों के विश्लेषण के आधार पर डा. फ्लीट कर मानना है कि इसकी रचना काल 11वीं शताब्दी के आस-पास होना चाहिये। हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख 1373 ई. का प्राप्त है। वाचस्पति गैरोलाजी ने इसका रचनाकाल 14वीं शती के आसपास माना है।
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Web Title : Narayan Pandit Ke Hitopdesh Ko Kiska Pathantar Mana Jata Hai