नास्ति विद्या समं चक्षु का अर्थ

(A) बलशाली के साथा क्या विरोध?
(B) होनहार बलवान् है, जो होना है वह होकर ही रहता है उसे टाला नहीं जा सकता।
(C) संसार में ब्रह्मविद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : संसार में ब्रह्मविद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'नास्ति विद्या समं चक्षु' का हिंदी में अर्थ– संसार में ब्रह्मविद्या के समान कोई नेत्र नहीं है। संस्कृत की यह सूक्ति महाभारत शान्तिपर्व से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
कोsन्यो हुतवहाद् दग्धुं प्रभवति। (अभिज्ञान शाकुन्तलम्)
हिंदी में अर्थ– अनसूया कहती है अग्नि के सिवाय कौन जला सकता है? यहां अग्नि से अभिप्राय 'दुर्वासा' से है।

काले खलु समारब्धा: फलं बध्नन्ति नीतय:। (रघुवंशम् 12/69)
हिंदी में अर्थ– समय पर आरम्भ की गयी नीतियां सफल होती हैं।

शस्त्रेण रक्ष्यं यदशक्यरक्षं, न तद्यश: शस्त्रभृतां क्षिणोति (रघुवंशम् 2/40)
हिंदी में अर्थ– जो रक्षा करने योग्य वस्तु शस्त्र से रक्षा करने के योग्य नहीं होती वह नष्ट होती हुई भी शस्त्रधारी की कीर्त्ति को नष्ट नहीं कर सकती है।
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
करेंट अफेयर्स 2023 और नवीनतम जीके अपडेट के लिए GK Prashn Uttar YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें
Related Questions
Web Title : Nasti Vidya Samam Chakshu