अष्टांगिक मार्ग का प्रतिपादन किसने किया?

(A) महावीर
(B) गौतम बुद्ध
(C) आदि शंकराचार्य
(D) कबीर

jainism
Question Asked : SSC CGL 2005

Answer : त्रिपिटक (Tripiṭaka)

गौतम बुद्ध ने मानव के दुखों के कारण के रूप में तृष्णा को बताया और चार आर्य सत्यों का प्रतिपादन किया। भगवान बुद्ध ने दुख के निवारण हेतु अष्टांगिक मार्ग अर्थात् मज्झिम प्रतिप्रदा (मध्यम मार्ग) के विषय में बताया। अष्टांगिक मार्ग के तीन मुख्य भाग हैं : 1. प्रज्ञा ज्ञान 2. शील 3. समाधि। मोक्ष तक पहुँचने के तीन सरलतम मार्ग हैं। पहला आष्टांग योग, दूसरा जिन त्रिरत्न और तीसरा आष्टांगिक मार्ग। बौद्ध धर्म मानता है कि यदि आप अभ्यास और जाग्रति के प्रति समर्पित नहीं हैं तो कहीं भी पहुँच नहीं सकते हैं। आष्टांगिक मार्ग सर्वश्रेष्ठ इसलिए है कि यह हर दृष्टि से जीवन को शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाता है। बुद्ध ने इस दुःख निरोध प्रतिपद आष्टांगिक मार्ग को 'मध्यमा प्रतिपद' या मध्यम मार्ग की संज्ञा दी है। अर्थात जीवन में संतुलन ही मध्यम मार्ग पर चलना है।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी जैन एवं बौद्ध धर्म
Useful for : UPSC, PSC, Bank, SSC, Railway, TET
करेंट अफेयर्स 2023 और नवीनतम जीके अपडेट के लिए GK Prashn Uttar YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें
Related Questions
Web Title : Noble Eightfold Path