न्याय दर्शन के प्रवर्तक थे?

(A) गौतम
(B) कपिल
(C) कणाद
(D) जैमिनी

Question Asked : [UPPCS (Pre) GS 2005]

Answer : गौतम

प्राचीन साहित्य में दार्शनिक संप्रदायों की संख्या छ: मानी जाती हैं, जिन्हें षडदर्शन कहा जाता है, वे इस प्रकार है - सांख्य दर्शन - इसका प्रवर्तक महर्षि कपिल को माना जाता है। इसका सबसे प्राचीन तथा प्रमाणिक ग्रंथ सांख्यकारिका है, जिसकी रचना ईश्वरकृष्ण ने की थी। योग दर्शन - इसका प्रवर्तक महर्षि पतंजलि को माना जाता है, जिनका ग्रंथ योगसूत्र इस दर्शन का मूल है। योग का शाब्दिक अर्थ - मिलन अर्थात् आत्मा का परमात्मा के साथ मिल जाना। न्याय दर्शन - इसका प्रवर्तक गौतम को माना जाता है, न्याय का शाब्दिक अर्थ है तर्क या निर्णय जो इस बात का सूचक है कि यह दर्शन मुख्यत: बौद्धिक, विश्लेषणात्मक तथा तार्किक है। वैशेषिक दर्शन - इसके प्रवर्तक महर्षि कणाद माने जाते हैं। प्रशस्तपाद कृत पदार्थ धर्म संग्रह वैशेषिक सूत्र पर टीका है। उदयन तथा श्रीधर इसके अन्य टीकाकार हैं। मीमांसा दर्शन - इसके प्रणेता जैमिनी है जिनका ग्रंथ मीमांसा सूत्र इस दर्शन का सूत्र है। शबर स्वामी ने इस पर विस्तृत टीका लिखी है। कुमारिल भट्ट व प्रभाकर इसके अन्य दार्शनिक हैं। वेदांत दर्शन - वेदों का ज्ञानमार्गी अंश वेदांत कहा जाता है। उपनिषद, गीता तथा वादरायण कृत वेदांत सूत्र ही वेदांत दर्शन का आधार है।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
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Web Title : Nyay Darshan Ke Pravartak The