‘पंडिताई भी एक बोझ है जितनी भारी होती है, उतनी ही तेजी से डुबाती है’ कथन किसका है?

(A) बालमुकुद गुप्त
(B) रामचंद्र शुक्ल
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(D) विद्यानिवास मिश्र

Answer : हजारी प्रसाद द्विवेदी

Explanation : 'पंडिताई भी एक बोझ है जितनी भारी होती है, उतनी ही तेजी से डुबाती है' यह कथन हजारी प्रसाद द्विवेदी का है। उन्होंने 'अशोक के फूल' नामक निबंध में लिखा है-'पंडिताई भी एक बोझ है-जितनी भी भारी होती है, उतनी ही वह तेजी से डुबाती है. जब वह जीवन का अंग बन जाती है, तो सहज हो जाती है।' हजारीप्रसाद द्विवेदी हिंदी निबंधकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
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Web Title : Panditai Bhi Ek Bojh Hai Itna Bhari Hoti Hai Utni Hi Teji Se Dubta Hai Kathan Kiska Hai