पंकज तो पंकज, मृगांक भी है मृगांक री प्यारी में कौन सा अलंकार है?

(A) लाटानुप्रास अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) श्लेष अलंकार
(D) उपमा अलंकार

Answer : लाटानुप्रास अलंकार

Explanation : पंकज तो पंकज, मृगांक भी है मृगांक री प्यारी। ​मिली न तेरे मुख की उपमा, देखी वसुधा सारी।। पंक्ति में लाटानुप्रास अलंकार होता है। यहां पंकज और मृगांक की आवृत्ति है– पहले पंकज शब्द का साधारण अर्थ कमल है और दूसरे पंकज की कीचड़ आदि जैसे गर्हित असुन्दर स्थल से उत्पन्न अत: विशेषताहीन कमल। ठीक उसी प्रकार से पहले मृगांक शब्द का साधारण अर्थ चन्द्रमा है और दूसरे मृगांक का कलंकादियुक्त चन्द्रमा। इस प्रकार, शब्द तथा अर्थ की पुनरुक्ति होने पर भी दोनों के तात्पर्य में भिन्नता के कारण यह लाटानुप्रास है।
लाटानुप्रास अलंकार की परिभाषा – जहाँ शब्द और वाक्यों की आवर्ती हो इसके अलावा हरेक जगह पर अर्थ भी वही पर अन्वय करने पर भिन्नता आ जाये वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में जब एक शब्द या वाक्य खंड की आवर्ती उसी अर्थ में हो, वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है। यह अलंकार, शब्दालंकार के 5 भेदों में से अनुप्रास अलंकार का एक भेद हैं। सामान्य हिंदी प्रश्न पत्र में लाटानुप्रास अलंकार संबंधी प्रश्न कर्मचारी चयन आयोग, बीएड, आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी साबित होगें।
Tags : अलंकार अलंकारिक शब्द लाटानुप्रास अलंकार
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Web Title : Pankaj To Pankaj Mrugank Bhi Hai Mrugank Ri Pyari Main Alankar