परिसीमन कानून क्या था?

(A) ऋण अनुबंध-पत्रों की कोई कानूनी वैधता नहीं होगी।
(B) साहूकार और रैयत (किसानों) के मध्य हस्ताक्षरित ऋण अनुबंध-पत्रों की वैधता केवल तीन वर्ष के लिए होगी।
(C) भूमि अनुबंध-पत्र साहूकारों द्वारा निष्पादित नहीं किए जा सकेंगे।
(D) ऋण अनुबंध-पत्रों की वैधता दस वर्षों के लिए होगी।

Question Asked : UPSC CDS Exam 2019 (I)

Answer : साहूकार और रैयत (किसानों) के मध्य हस्ताक्षरित ऋण अनुबंध-पत्रों की वैधता केवल तीन वर्ष के लिए होगी।

औपनिवेशिक शासन में महाराष्ट्र के दक्कन क्षेत्र में ऋणदाता (साहूकार व महाजन) रैय्यतों से उधार दिए गए धन पर बहुत अधिक ब्याज वसूलने थे और इसके लिए उन पर कई प्रकार की यातनाएं दी जाती थीं। रैयत ऋणदाता को कुटिल और धोखेबाज समझने लगे थे। वे ऋणदाताओं के द्वारा खातों में धोखाधड़ी करने और कानून को धत्ता बताने की शिकायतें करते थे। इसी संबंध में 1859 में अंग्रेजों द्वारा एक परिसीमा कानून पारित किया गया जिसमें यह कहा गया कि साहूकार और रैयत के बीच हस्ताक्षरित ऋण अनुबंध पत्रों की वैधता केवल तीन वर्षों के लिए ही मान्य होगा। इस कानून का उद्देश्य बहुत समय तक ब्याज को संचित होने से रोकना था।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Parisiman Kanoon Kya Tha