राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत कैसे मौलिक अधिकारों से भिन्न हैं?

(A) पूर्वोक्त केन्द्रीय सरकार के लिए और उपरोक्त राज्यों के लिए
(B) पूर्वोक्त संविधान का अंश नहीं है जबकि उपयुक्त है
(C) निदेश प्रवर्तनीय नहीं है जबकि अधिकार प्रवर्तनीय है
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

Answer : निदेश प्रवर्तनीय नहीं है जबकि अधिकार प्रवर्तनीय है

Explanation : मौलिक अधिकार न्यायालयों द्वारा लागू हो सकते हैं, वहीं राज्य के नीति–निदेशक तत्व न्यायालय द्वारा लागू नहीं हो सकते अर्थात् मौलिक अधिकार वाद योग्य है तथा नीति–निदेशक तत्व वाद योग्य नहीं है। मौलिक अधिकार नकारात्मक हैं, जबकि निदेशक तत्व सकारात्मक हैं। मौलिक अधिकारों की प्रकृति इस रूप में नकारात्मक है कि ये राज्य के किन्हीं कार्यों पर प्रतिबंध लगाते हैं, इसके प्रतिकूल निदेशक तत्व राज्य को किन्हीं निश्चित कार्यों को करने का आदेश देते हैं। अधिकारों का कानूनी महत्व है, जबकि निदेशक सिद्धांत नैतिक आदेश मात्र है। जी. एन. जोशी के अनुसार राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत मानवीय आदर्शवाद के ढेर हैं जिन्हें ऐसे व्यक्तियों ने संगृहीत किया है, जो दीर्घकालिक स्वतंत्रता संग्राम की समाप्ति के पश्चात् स्वप्निल भावातिरेक की स्थिति में थे। अधिकार सार्वभौम नहीं हैं, उस पर कुछ प्रतिबंध है, जबकि निदेशक सिद्धांतों पर कोई प्रतिबंध नहीं।
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Web Title : Rajya Ke Neeti Nirdeshak Siddhant Kaise Maulik Adhikar Se Bhinn Hai