राइबोसोम कितने प्रकार के होते हैं?

(A) दो प्रकार के
(B) तीन प्रकार के
(C) चार प्रकार के
(D) पांच प्रकार के

Answer : दो प्रकार के

Explanation : राइबोसोम दो प्रकार के होते हैं– 70S राइबोसोम्स और 80S राइबोसोम्स। 70S राइबोसोम्स आकार में छोटे होते हैं और इनका अवसादन गुणांक 70S होता है। ये माइटोकॉन्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट एवं बैक्टीरिया आदि में पाए जाते हैं। वही 80S राइबोसोम्स आकार में कुछ बड़े होते हैं और इनका अवसादन गुणांक 80S होता है। ये उच्च विकसित पौधों एवं जन्तु कोशिकाओं में पाए जाते हैं। राइबोसोम की दो उप-इकाइयां होती हैं जो एकसाथ मिलकर प्रोटीन इकाई निर्माण की दिशा में काम करती हैं। प्रत्येक बड़े आरएनए मॉलीक्यूल में एक से दो बैक्टीरियल उपइकाई और एक से तीन यूकर्योटिक इकाइयां होती हैं। साथ ही कई छोटे प्रोटीन मॉलीक्यूल्स भी होते हैं। सरल शब्दों में कहे तो राइबोसोम एक जटिल आणविक मशीन है जो जीवित कोशिकाओं के अंदर पाए जाते हैं। जो प्रोटीन संश्लेषण नामक प्रक्रिया में अमीनो एसिड से प्रोटीन को बनाते हैं। प्रोटीन संश्लेषण जीवित कोशिकाओं द्वारा किया जाने वाला प्रमुख कार्य होता है।

राइबोसोम (Ribosome) की खोज 1950 के दशक में रूमानियाई जीव वैज्ञानिक जॉर्ज पेलेड ने की थी। उन्होंने इस खोज के लिए इलैक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया था। जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ‘राइबोसोम’ नाम 1958 में वैज्ञानिक रिचर्ड बी. रॉबर्ट्स ने प्रस्तावित किया था। इस लिहाज से राइबोसोम्स और उसके सहयोगी मॉलीक्यूल्स गत सदी के मध्य ये विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए हुए हैं और आज उन पर काम काफी तेज गति से हो रहा है।
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Web Title : Ribosome Kitne Prakar Ke Hote Hain