सामूहिक प्रतिनिधान की अवधारणा किसने दी?

(A) वेबर
(B) दुर्थीम
(C) आगस्ट काम्ट
(D) स्पेंसर

Answer : दुर्थीम

Explanation : सामूहिक प्रतिनिधान की अवधारणा दुर्थीम ने दी थी। दुर्थीम ने कभी प्रत्यक्ष रूप से स्व: के विकास के लिए समाजीकरण की चर्चा नहीं की, लेकिन अपनी पुस्तक सोशियो लॉजी एंड फिलोसॉफी (Sociology and Philosophy) में व्यक्ति में व्यक्तित्व विकास के लिए समाज की भूमिका को रेखांकित किया। मार्क्स की तरह दुर्थीम भी व्यक्ति को कोई स्वतंत्र सत्ता नहीं मानते बल्कि समूह की सत्ता को हो केन्द्रीय महत्त्व देते हैं। दुर्थीम ने सामूहिक प्रतिनिधान (Collective representation) के आधार पर समाजीकरण के सिद्धांत को स्पष्ट किया। उनके अनुसार सामूहिक प्रतिनिधित्व का तात्पर्य वे सभी विचार, मूल्य, स्वभाव, व्यवहार का तरीका है, जो एक समूह के सदस्यों का साझा होता है। व्यक्ति जब समूह के व्यवहार को ग्रहण कर लेता है, तो समाजीकृत हो जाता है। सामूहिकता अर्थात् सामूहिक प्रतिनिधित्व व्यक्ति की सोच एवं चेतना को पूर्णतः निर्धारित करता है। सामूहिक प्रतिनिधित्व व्यक्ति पर सामाजिक तथ्य के रूप में कार्य करता है। सामूहिक प्रतिनिधित्व द्वारा व्यक्त होने वाली सामूहिक चेतना (Colle ctive Conciousness) के सामने व्यक्तिगत चेतना गौण होती है। इसलिए व्यक्ति नैतिक दबाव द्वारा समूह के अनुसार व्यवहार करने को बाध्य होता है।
Tags : समाजशास्त्र प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Samuhik Pratinidhan Ki Avdharna Kisne Di