संविधान की आधारभूत संरचना के सिद्धांत का क्या तात्पर्य है?

(A) संविधान के कुछ लक्षण ऐसे अनिवार्य है कि उनका निराकरण नहीं किया जा सकता है।
(B) मूल अधिकारों को न कम किया जा सकता है और न उनको छीना जा सकता है।
(C) संविधान का संशोधन केवल अनु. 368 में निहित प्रक्रिया से ही किया जा सकता है।
(D) संविधान का उद्देश्यिक का संशोधन नहीं किया जा सकता है क्योंकि व संविधान का भाग नहीं है और साथ ही वह संविधान की आत्मा को प्रतिबिंबित करती है।

Answer : संविधान के कुछ लक्षण ऐसे अनिवार्य है कि उनका निराकरण नहीं किया जा सकता है।

Explanation : संविधान की आधारभूत संरचना का तात्पर्य संविधान में निहित उन प्रावधानों से है, जो संविधान और भारतीय राजनीतिक और लोकतांत्रिक आदर्शों को प्रस्तुत करता है। इन प्रावधानों को संविधान में संशोधन के द्वारा भी नहीं हटाया जा सकता है।आधारभूत संरचना के सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केशवानन्द भारती वाद में किया गया था। केशवानन्द भारती मामले में यह निर्णय दिया गया कि संसद द्वारा संविधान के 368 के अधीन प्रस्तावना में भी संशोधन किया जा सकता है किंतु प्रस्तावना में समाहित संविधान के बुनियादी तत्वों में संशोधन नहीं किया जा सकता है।
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Web Title : Samvidhan Ki Aadharbhoot Sanrachna Ke Siddhant Ka Kya Tatparya Hai