संगीत रत्नाकर में कितने अध्याय है?

(A) पांच अध्याय
(B) छ: अध्याय
(C) सात अध्याय
(D) नौ अध्याय

Answer : सात अध्याय

Explanation : संगीत रत्नाकर में सात अध्याय है। इसी लिये इसे 'सप्ताध्यायी' भी कहते हैं। भारत के सबसे महत्वपूर्ण संगीतशास्त्रीय ग्रंथों में से एक संगीत रत्नाकर के लेखक शारंगदेव (Sarngadev) है। इस ग्रंथ के पहले छः अध्याय - स्वरगताध्याय, रागविवेकाध्याय, प्रकीर्णकाध्याय, प्रबंधाध्याय, तालाध्याय तथा वाद्याध्याय संगीत और वाद्ययंत्रों के बारे में हैं। जबकि इसका अंतिम सातवाँ अध्याय 'नर्तनाध्याय' है जो नृत्य के बारे में है। इस तहर इस ग्रंथ में गायन-वादन एवं नृत्य, तीनों ही विषय पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। इसके द्वारा नाद, श्रुति, स्वर, ग्राम, मूर्च्छना, लय, ताल इत्यादि समस्त बातों को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। यह ग्रंथ प्राचीन एवं आधुनिक, दोनों को जोड़ने वाली एक कड़ी है। शारंगदेव ने इस ग्रंथ में दक्षिण पद्धति तथा उत्तर पद्धति दोनों का मेल करने का प्रयत्न किया है।
Tags : संगीत रत्नाकर स्वरलिपि
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Web Title : Sangeet Ratnakar Mein Kitne Adhyay Hai