शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् का अर्थ

(A) क्षण त्यागने से विद्या कहां और कण त्यागने से धन कहां।
(B) चित्र में लिखे हुए बाण निकालने के उद्योग में लगे हुए की भांति हो गया।
(C) ब्रह्मचारी शास्त्रोक्तविधिपूर्वक की गई पूजा को स्वीकार करके पार्वती से बोले– ‘शरीर धर्म का मुख्य साधन है।’
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : ब्रह्मचारी शास्त्रोक्तविधिपूर्वक की गई पूजा को स्वीकार करके पार्वती से बोले– 'शरीर धर्म का मुख्य साधन है।'

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' का हिंदी में अर्थ– ब्रह्मचारी शास्त्रोक्तविधिपूर्वक की गई पूजा को स्वीकार करके पार्वती से बोले– 'शरीर धर्म का मुख्य साधन है।' संस्कृत की यह सूक्ति कुमारसम्भव 5.33 से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
न हि प्रियं प्रवक्तुमिच्छन्ति मृषा हितैषिण:। (किरातार्जुनीयम् 1/2)
हिंदी में अर्थ– कल्याण चाहने वाले लोग झूठा प्रिय वचन बोलने की इच्छा नहीं करते हैं।

न हि सर्व: सर्वं जानाति। (मुद्राराक्षस अड़्क-1)
हिंदी में अर्थ– सभी लोग सब कुछ नहीं जानते हैं।
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
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Web Title : Sariram Adyam Khalu Dharma Sadhanam