स्वरलिपि पद्धति को किसने प्रचलित किया?

(A) पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर
(B) शारंगदेव
(C) पं. विष्णु नारायण भातखंडे
(D) पं. जसराज

Answer : पंडित विष्णु नारायण भातखंडे

Explanation : स्वरलिपि पद्धति को पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने प्रचलित किया। भातखंडे जी ने संगीत के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। विद्वानों के मतानुसार संगीत के शास्त्रीय पक्ष को महत्व देने तथा उसे एक व्यवस्थित रूप देने का श्रेय पंडित भातखंडे को ही है। भातखंडे जी का प्रथम कार्य स्वर लिपि का अविष्कार था। इनकी बनाई हुई स्वरलिपि सरल होते हुए भी पूर्ण उपयोगी है। इस स्वर लिपि का प्रचार सर्वाधिक है। उनहोंने देश भ्रमण के दौरान जो विविध प्रकार के ज्ञान ग्रहण किए उन सभी को स्वरलिपिबद्ध कर प्रकाशित कराया। ये राग एवं गीत क्रमिक पुस्तक मालिका के छह: भागों में प्रसिद्ध हुए।

पं. विष्णु नारायण भातखंडे (Vishnu Narayan Bhatkhande) को आधुनिक युग में संगीत के शास्त्रीय पक्ष की ओर जन-सामान्य का ध्यान आकर्षित करने का प्रथम श्रेय जाता है। उनका जन्म 10 अगस्त 1860 को मुंबई प्रांत के बालकेश्वर नामक स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उच्च ब्राह्मण वंश में हुआ था।
Tags : स्वरलिपि
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Web Title : Swarlipi Paddhati Ko Kisne Prachalit Kiya