उत्तररामचरित के तृतीय अंक को छायांक क्यों कहते हैं?

(A) इसमें राम को सीता का चित्र दिखाया जाता है
(B) इस अंक में सीता की छाया सभी दर्शकों एवं पात्रों को दिखाई पड़ती है
(C) इस अंक में राम को सीता की छाया दिखाई देती है
(D) मंच पर उपस्थित सीता राम को नहीं दिखाई देतीं

Answer : मंच पर उपस्थित सीता राम को नहीं दिखाई देतीं

Explanation : महाकवि भवभूति प्रणीत 'उत्तररामचरितम्' के तृतीय अंक को छायांक कहते हैं, क्योंकि मंच पर उपस्थित सीता राम को नहीं दिखाई देती। इस अंक में 'छायादृश्य' भवभूति की मौलिक कल्पना है। अदृश्य सीता का राम से वार्तालाप एक सुन्दर नाटकीय योजना है। भवभूति ने सम्भवत: छायानृत्यों के अनुकरण पर इसकी योजना बनाई। नाटकीय पात्रों के अतिरिक्त सीता और तमसा अदृश्य रहते हुए राम और वासन्ती का वार्तालाप सुनती है और पर्दे पर छाया के तुल्य दिखाई जाती है। दृश्य– वैचित्र्य, मनोभावों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन, छायानाटक की सृष्टि, करुण रस का सतह प्रवाह, दाम्पत्य-जीवन की झांकी, इनकी सुन्दर अभिरुचि के कारण तृतीय अंक नाटकीय और सामाजिक दोनों दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
Tags : संस्कृत
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Uttararamacharita Ke Tritiya Ank Ko Chhayank Kyon Kahte Hain