विभवशालिनी, विश्वपालिनी दुखहत्री है में कौन सा अलंकार है?
(A) अनुप्रास अलंकार
(B) विरोधाभास अलंकार
(C) काव्य लिंग अलंकार
(D) विशेषोक्ति अलंकार
Explanation : विभवशालिनी, विश्वपालिनी दुखहत्री है, भय-निवारिणी, शांतिकारिणी सुखकसर्त्री है। पंक्ति में अनुप्रास अलंकार होता है। इन काव्य पंक्तियों में पास-पास प्रयुक्त शब्द 'विभवशालिनी' और विश्वपालिनी' में अन्तिम वर्ण 'न' का आवृत्ति और 'भयनिवारिणी' तथा 'शांतिकारिणी' में 'ण' की आवृत्ति हुई है।
जहाँ व्यंजनों की आवृत्ति बार-बार हो, चाहे उनके स्वर मिलें या न मिलें वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार के तीन भेद– 1. अनुप्रास, 2. यमक और 3. श्लेष में से एक है। सामान्य हिंदी प्रश्न पत्र में अनुप्रास अलंकार संबंधी प्रश्न पूछे जाते है। इसलिए यह प्रश्न आपके लिए कर्मचारी चयन आयोग, बीएड, आईएएस, सब इंस्पेक्टर, पीसीएस, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी साबित होगें।
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Tags : अनुप्रास अलंकार, अलंकार, अलंकारिक शब्द
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