विद्या विहीन पशु का अर्थ

(A) भिन्न-भिन्न मनुष्य की प्रवृत्ति भिन्न होती है।
(B) विद्या से रहित व्यक्ति पशु-तुल्य है।
(C) जैसे को तैसा मिलना।
(D) भूखा व्यक्ति कौन सा पाप नहीं कर सकता।

Answer : विद्या से रहित व्यक्ति पशु-तुल्य है।

Explanation : विद्या विहीन पशु का अर्थ विद्या से रहित व्यक्ति पशु-तुल्य है। यह संस्कृत की प्रसिद्ध कहावत है। विद्या विहीन पशु श्लोक, विद्या विहीन पशु मीनिंग इन हिंदी शब्दार्थ है विद्या से रहित व्यक्ति पशु-तुल्य है। संस्कृत के मुहावरे एवं संस्कृत लोकोक्तियाँ के अर्थ सामान्य हिंदी के पेपर में अक्सर पूछे जाते है। संस्कृत की एक प्रचलित कहावत यह भी है–
न मूर्ख जन संसगति सुरेन्द्रभवनेश्वपि।
अर्थ – मूर्खों के साथ स्वर्ग में रहना भी अच्छा नहीं है।
सन्तोषं परमं सुखं।
अर्थ – सन्तोष सबसे बड़ा सुख है।
Tags : संस्कृत मुहावरे संस्कृत लोकोक्तियाँ
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Web Title : Vidya Vihin Pashu