विनोबा को कौन सी भाषा अधिक प्रिय थी?

(A) मराठी
(B) गुजराती
(C) हिंदी
(D) संस्कृत

vinoba bhave

Answer : हिंदी

Explanation : विनोबा को हिंदी भाषा अधिक प्रिय थी। वे भारत में शिक्षा और संस्कृति के विकास, समूचे राष्ट्र जीवन के सुचारु संगठन तथा संचालन के लिए भारतीय भाषाओं का, विशेष रूप से हिंदी का महत्व जानते थे। इन्होंने स्वाधीन भारत में राष्ट्रीय एकता, सर्वधर्म समभाव, समानता तथा सेवा बन्धुत्व की भावना के साथ हिंदी भाषा में प्रचार किया। इन्होंने वेद से लेकर भक्ति-साहित्य और विभिन्न धर्मों का गहन अध्ययन किया तथा उनकी व्याख्या की। वह मानते थे कि दुनिया को बनाने वाली तीन ताकतें हैं-विज्ञान, अध्यात्म एवं साहित्य। उनकी दृष्टि में मानव सभ्यता के भावी विकास के लिए विज्ञान और आध्यात्म को जोड़ना बहुत जरूरी है और दोनों को जोड़ने वाली कड़ी साहित्य है। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई किताबें लिखीं। ज्यादातर किताबें अध्यात्म पर थीं। मराठी, तेलुगु, गुजराती, कन्नड़, हिंदी, उर्दू, इंग्लिश और संस्कृत समेत कई भाषाओं पर उनकी पकड़ थी। उन्होंने संस्कृति में लिखे कई शास्त्रों का सामान्य भाषा में अनुवाद किया। उन्होंने जो किताबें लिखीं उनमें कुछ स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन, तीसरी शक्ति अहम हैं।

आचार्य विनोबा भावे अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाओं के ज्ञाता थे। उनके लिए संस्कृत भाषा के ज्ञान का अपना विशेष महत्व है, क्योंकि वे वैदिक ग्रन्थों की संस्कृत का प्रयोग करते थे। वे भूदान पदयात्रा करते हुए समूचे भारत में जहाँ भी गए, वहाँ की भाषा सीखी, वहाँ के मूल्यवान भक्ति साहित्य का अध्ययन किया। उन्होंने कुरान का अध्ययन करने के लिए अरबी भाषा को सीखा। इस कारण विविधता में एकता का दर्शन करने वाले अद्वितीय आचार्य विनोबा ने 50 वर्षों तक वेदों का अध्ययन-मनन कर सार निकाला और मंत्रों की नई व्याख्या की। विनोबा की दृष्टि में वेदों की वाणी संतवाणी है, बुद्धवाणी और भक्ति साहित्य उसी का अगला विकास है।
Tags : आचार्य विनोबा भावे आधुनिक इतिहास आधुनिक भारत इतिहास प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Vinoba Ko Kaun Si Bhasha Adhik Priya Thi