यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः का अर्थ

(A) अपने किये गये दोषों का फल निश्चय ही स्वयं को भोगना पड़ता है।
(B) अत्यधिक प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है।
(C) मनु कहते हैं– जिस कुल में स्त्रियां सम्मानित होती हैं, उस कुल से देवगण प्रसन्न होते हैं।
(D) इनमें से कोई नहीं

Answer : मनु कहते हैं– जिस कुल में स्त्रियां सम्मानित होती हैं, उस कुल से देवगण प्रसन्न होते हैं।

Explanation : संस्कृत सूक्ति 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः' का हिंदी में अर्थ– मनु कहते हैं– जिस कुल में स्त्रियां सम्मानित होती हैं, उस कुल से देवगण प्रसन्न होते हैं। संस्कृत की यह सूक्ति मनुस्मृति से ली गई है। State TET, CTET, TGT, PGT आदि परीक्षाओं के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण संस्कृत सूक्तियां हिंदी में अर्थ सहित पढ़े–
चारित्र्येण विहीन आढ्योपि च दुगर्तो भवति। (मृच्छकटिकम् 1/43)
हिंदी में अर्थ– चरित्रहीन धनवान् भी दुर्दशा को प्राप्त होता है।

छायेव तां भूपतिरन्वगच्छत्। (रघुवंश-2/6)
हिंदी में अर्थ– राजा दिलीप ने नन्दिनी को छाया की भांति अनुसरण किया।

समरिष्यति त्वां न स बोधितोsपि सन् कथा प्रमत्त: प्रथमं कृतामिव (अभिज्ञान शाकुन्तलम् 4/1) हिंदी में अर्थ– दुर्वासा ऋषि शकुन्तला को शाप देते हुए कहते हैं– अनन्यहृदय से जिसका चिन्तन करती हुई तू उपस्थित हुए (भी) मुझ तपस्वी को नहीं देख रही है, 'वह तेरा स्मरण दिलाने पर भी तुझको स्मरण नहीं करेगा, जैसे उन्मत् व्यक्ति पहले कही बात को स्मरण नहीं करता।
Tags : संस्कृत संस्कृत सूक्ति
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Yatra Naryastu Pujyante Ramante Tatra Devata