अपरा एकादशी का महत्व क्या है?

Answer : भगवान विष्णु की पूजा

Explanation : हिंदू पंचांग के प्रत्येक मास में कृष्ण पक्ष वशुक्ल पक्ष के अनुसार दो एकादशी आती हैं। इनमें से हरेक का अपना महत्व है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अपरा एकादशी का भी भक्तों में विशेष महत्व माना जाता है। इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह 6 जून 2021 को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा होती है और उनसे धन-संपत्ति की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है। अपरा एकादशी का महत्व महाभारत काल से जुड़ता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर के आग्रह करने पर श्रीकृष्ण भगवान ने अपरा एकादशी व्रत के महत्व के बारे में पांडवों को बताया था। इस एकादशी के व्रत के प्रभाव स्वरूप पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया।

मान्यता है कि अपरा एकादशी व्रत रखने से अपार धन की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा करके आशीर्वाद लिया जाता है और विष्णु जी का व्रत रखते हैं। यदि संभव हो तो गंगा स्नान अवश्य करें। एकादशी को गंगा स्नान से समस्त पाप नष्ट होते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है। इस दिन किसी भी तीर्थ स्थल की यात्रा कर दर्शन करें और वहां दान जरूर करें। पूजा के लिए सुबह जल्दी उठे। स्वयं की शुद्धि के बाद पूजा के लिए चौकी लगाएं। उसपर स्वच्छ आसन लगाकर भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। विष्णु जी को चंदन का टीका लगाएं। भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें पीले फूल अर्पित करें। तुलसी जरूर चढ़ावें। सुपारी, लौंग, धूप-दीप से पूजा करें व पंचामृत, मिठाई और फलों का भोग लगाएं। अब व्रत संकल्प करें। भगवान की आरती करें। 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः' का जाप करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करें। इस दिन भोजन में केवल फलाहार लें। व्रत रखने वाले व्यक्ति को छल-कपट, झूठ और परनिंदा जैसी बातों से बचना चाहिए।
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