वर्तमान में कौन-क्या है करंट अफेयर्स 2022
December 17, 2021
, updated on July 7, 2022
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आईपीसी की धारा 506 क्या है- IPC Section 506 in Hindi
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 506 के अनुसार,
आपराधिक अभित्रास के लिए दंड – जो कोई आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जायेगा।
यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति इत्यादि कारित करने की हो – तथा यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति कारित करने की, या अग्नि द्वारा किसी सम्पत्ति का नाश कारित करने की या मृत्युदंड से या आजीवन कारावास से या सात वर्ष की अवधि तक के कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने की,
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लोकतंत्र क्या है इन हिंदी
सामान्य अर्थों में समझा जाए तो अब्राहम लिंकन के अनुसार लोकतंत्र जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा जनता का शासन है अर्थात् लोकतंत्र शासन व्यवस्था का रूप है, जिसके तहत जन-साधारण एक निश्चित अवधि के अंतराल में अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के शासन से शासित होते हैं, आधुनिक समय में दुनिया के अधिकांश देशों ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को ही अपनाया है इस व्यवस्था के प्रारंभिक संकेत यूनान के नगर-राज्यों में मिलते हैं, जहां लोग शासकीय कार्यों में प्रत्यक्ष जनसहभागिता करते थे, जोकि प्रत्यक्ष लोकतंत
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आईपीसी की धारा 76 क्या है- IPC Section 76 in Hindi
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 76 के अनुसार,
विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आपको विधि द्यारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य — कोई बात अपराध नहीं है, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या जो तथ्य की भूल के कारण, न कि विधि की भूल के कारण, सद्भभावपूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध है।
दृष्टान्त
(क) विधि के समादेशों के अनुवर्तन में अपने वरिष्ठ आफिसर के आदेश से एक सैनिक क भीड़ पर गोल
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आईपीसी की धारा 377 क्या है- IPC Section 377 in Hindi
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 377 के अनुसार,
प्रकृति विरुद्ध अपराध – जो कोई, किसी पुरुष, स्त्री या जीव-जंतु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छया इन्द्रियभोग करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण – इस धारा में वर्णित अपराध के लिये आवश्यक इन्द्रिय-भोग गठित करने के लिये प्रवेशन पर्याप्त है।
According to Section 377 of the Indian Penal Code 1860,
Unnatu
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