पुलिस आचार संहिता क्यों बनाया गया?

पुलिस (Police) का अर्थ ‘आरक्षी’ अथवा ‘आरक्षक’ होता है। अब एक अच्छी पुलिस की कल्पना करें, तो ‘Police’ शब्द के प्रत्येक अक्षर का यह अर्थ लगाया जा सकता है– P= Polite विनम्र, O = Obedience आज्ञाकारी, L = Liability जिम्मेदारी, I = Intelligent बुद्धिमान, C = Courageous साहसी और E = Efficient दक्ष। पुलिस हेतु आचार-संहिता भारत सरकार द्वारा वर्ष 1985 में बनाई गई। यह संहिता भारतीय पुलिस के प्रमुखों की कॉन्फ्रेंस द्वारा दी गई सिफारिशों पर आधारित थी। प्रारम्भ में संहिता में 12 नियम थे। नियम 12(ए) राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिश पर जोड़ा गया। ये नियम इस प्रकार हैं–
● पुलिस को भारत के संविधान के प्रति पूर्ण निष्ठा रखनी चाहिए तथा इसके द्वारा संरक्षित नागरिकों के अधिकारों का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए।
● काननू के तहत् शांति और व्यवस्था बनाए रखने के समय पुलिस को यथासम्भव समझाने-बुझाने के तरीके अपनाकर सलाह/चेतावनी देनी चाहिए।
● जब बल-प्रयोग आवश्यक हो जाए, तभी बल का न्यूनतम प्रयोग करना चाहिए।
● पुलिस को न्यायपालिका के कार्यों को स्वयं नहीं करना चाहिए।

● पुलिस को यह पहचानना चाहिए कि वह भी जनता का एक भाग है।
● पुलिस को सदैव जनता के कल्याण को ध्यान में रखना चाहिए।
● पुलिस को हमेशा स्वयं के बजाय कर्तव्य (Duty) को प्राथमिकता देनी चाहिए।
● पुलिस को सदैव विनम्र और सद्व्यवहारी होना चाहिए।
● सत्यनिष्ठा, पुलिस की प्रतिष्ठा का मूल अधिकार है. यह मानते हुए पुलिस को अपना निजी जीवन स्वच्छ रखना चाहिए।
● पुलिस को महसूस करना चाहिए कि उसके कर्तव्य का सफल निर्वहण जनता से प्राप्त सहयोग पर निर्भर है।

इस आचार-संहिता के अतिरिक्त भी पुलिसकर्मियों के आचरण व कर्तव्यों के बारे में कानूनी प्रावधान किए गए हैं। पुलिस को इन कानुनों की सीमाओं में रहकर ही कार्य करना होता है, तभी जनता के मानवाधिकार सुरिक्षत रह सकते हैं।

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Web Title : police aachar sanhita kyon banaya gaya