संस्कृत प्रश्नोत्तरी

  • ‘मेघदूतम्’ काव्य कितने भागों में विभक्त है?
    'मेघदूतम्' महाकवि कालिदास द्वारा प्रणीत एक सुमधुर संस्कृत गीतिकाव्य है। गीतिकाव्य का वह रूप होता है, जोवाद्यों के साथ संगीतात्मक रूप में गाया जाता है। गीतिकाव्य प्रेम, शोक या भक्ति के भावों, विचारों या अनुभवों का प्रकाशन है। गीतिकाव्य को खंडकाव्य कहा ...Read More
  • ‘मेघदूतम्’ किस श्रेणी का काव्य है?
    'मेघदूतम्' महाकवि कालिदास द्वारा प्रणीत एक सुमधुर संस्कृत गीतिकाव्य है। गीतिकाव्य का वह रूप होता है, जोवाद्यों के साथ संगीतात्मक रूप में गाया जाता है। गीतिकाव्य प्रेम, शोक या भक्ति के भावों, विचारों या अनुभवों का प्रकाशन है। गीतिकाव्य को खंडकाव्य कहा ...Read More
  • ‘मेघदूतम’ किस विधा की रचना है?
    'मेघदूतम्' महाकवि कालिदास द्वारा प्रणीत एक सुमधुर संस्कृत गीतिकाव्य है। गीतिकाव्य का वह रूप होता है, जोवाद्यों के साथ संगीतात्मक रूप में गाया जाता है। गीतिकाव्य प्रेम, शोक या भक्ति के भावों, विचारों या अनुभवों का प्रकाशन है। गीतिकाव्य को खंडकाव्य कहा ...Read More
  • मेघदूत के रचयिता कौन है?
    'मेघदूतम्' के रचयिता कालिदास हैं। कालिदास की 7 रचनाएं प्रसिद्ध हैं :
    (क) नाटक — 1. अभिज्ञानशाकुन्तलम्, 2. विक्रमोर्वशीयम्, 3. मालविकाग्निमित्रम्,
    (ख) काव्य ग्रंथ — 4. रघुवंशम्, 5. कुमारसंभवम्,
    (ग) गीतिकाव्य — 6. मेघदूतम, 7. ऋतुसंहारम् ...Read More
  • ‘दम्भोलि’ शब्द का अर्थ है?
    'दम्भोलि' शब्द का अर्थ वज्र है। वज्र से बनी, दम्भोलिना घटितोविदम्भोलिघटिता (तत्पुरुष समास) दम्भोलिरशनिद्र्वयो: (अमरकोष)।
    अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
    संजात: = उत्पन्न:, दारुण = भीषण अथवा भयंकर, दानव = म्लेच्छ अथवा यवन, उदन्त = वृतान्त, लोहसारमयम = ...Read More
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