शिशु का व्यवहार मूल प्रवृत्ति पर आधारित होता है। शैशवावस्था बालक का निर्माण काल कहा जाता है इसे 'सीखने का अनोखा काल' भी कहा जाता है इस अवस्था में शिशु का व्यवहार मूल प्रवृत्तियों पर आधारित होता है। जैसे — रोना, हंसना, स्वप्रेम की भावना आदि।
यह
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