संस्कृत प्रश्नोत्तरी

  • ‘मेघदूतम्’ किस छंद में रचित है?
    महाकवि कालिदास ने संपूर्ण 'मेघदूतम्' को मन्दाक्रान्ता छन्द में उपनिषद्ध किया है। इस छन्द का लक्षण इस प्रकार है : 'मन्दाक्रान्ता जलधिषडगैम्भौं नतौ ताद्गुरु चेत्' अर्थात् इस छन्द में प्रत्येक पाद में 17 अक्षर होते हैं। वे मगण, भगण, नगण, तगण, तगण और दो ...Read More
  • मेघदूत का नायक कौन है?
    कविकुलगुरु कालिदास प्रणीत 'मेघदूतम्' का नायक यक्ष है। 'मेघदूतम्' का प्रधान रस श्रृंगार रस है। विप्रलम्भ श्रृंगार मेघदूत का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है डॉ. कीथ ने मेघदूत को Elegy (शोकगीत) की कोटि में डालना उचित समझा है, परंतु यह अनु​सूचित है मेघदूत शोक-ग ...Read More
  • ‘मेघदूतम्’ का प्रधान रस क्या है?
    'मेघदूतम्' का प्रधान रस श्रृंगार रस है। विप्रलम्भ श्रृंगार मेघदूत का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है डॉ. कीथ ने मेघदूत को Elegy (शोकगीत) की कोटि में डालना उचित समझा है, परंतु यह अनु​सूचित है मेघदूत शोक-गीत या करुण गीत न होकर विरह गीत या विप्रजलम्भ गीत है। श ...Read More
  • ‘मेघदूतम्’ में यक्ष का नाम क्या था?
    'मेघदूतम्' में यक्ष का नाम हेममाली था और ​यक्षिणी का नाम विशालाक्षी था। यक्ष को अलकाधीश्वर कुबेर ने जो शाप दिया है, उसका आधार पदमपुराण और ब्रह्रावैवर्वपुराण है। यहां के 'योगिनी' नामक आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी-माहात्म्य प्रसंग से जिसे अंश को लेकर महाकवि ...Read More
  • यक्ष का प्रवास किस पर्वत पर था?
    'मेघदूतम्' में यक्षों के स्वामी कुबेर द्वारा अभिशप्त यक्ष रामगिरि पर्वत (रामगिर्याश्रमेषु) पर एक वर्ष तक अपनी पत्नी से वियुक्त होकर निवास करता है। 'रामगिरि' मध्य प्रदेश के रामगढ़ पर्वत को रामगिरि माना गया है। प्रसिद्ध टीकाकार वल्लभ मल्लिनाथ ने इस राम ...Read More
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